रामकुमार नायक/रामकुमार: जब भी यूनिवर्सल कॉम्प्लेक्स की बात होती है, तो सड़क, पानी, बिजली और मकान का ज़िक्र ज़रूर होता है। लेकिन रायपुर की कई प्रमुख बिखरी हुई स्थिति में हैं और स्थानीय लोग अपनी बेबसी पर अमीरों को मजबूर कर रहे हैं। लोकल18 की टीम ने जब इस समस्या को जानने के लिए भांठागांव इलाके का दौरा किया, तो देखा कि स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले रायपुर की सड़कों पर बड़े-बड़े समूह बने हुए हैं, जो स्थानीय इलाके और इलाके की पहचान का कारण बन रहे हैं।
वन्यजीवों की प्रतिकूलता पर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
राहगीर शैल देवांगन ने बताया कि भांथागांव इलाके की सड़कें बेहद खराब हैं, जगह-जगह खराब हैं, पानी भरा है, जबकि बारिश का मौसम भी नहीं है। उन्होंने कहा, कंक्रीट और सरकार की परतों पर ध्यान देना चाहिए। हमें हर दो-तीन दिन में यहां से देखें और समुदायों की समस्या से बहुत परेशान हैं।
फील्डवर्क करने वाले दिनेश अहिरवार ने कहा कि स्विच वाले स्थान सड़कों पर विशेष रूप से खराब हैं, जिससे उन्हें और अन्य उपकरणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, राहगीर गोलू धीवर ने कहा कि बारिश के दौरान डुपहिया सोसायटी को चलाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
वास्तव में भी नुकसान
डेली नीड्स के अध्यक्ष नॉमिनल सोनकर ने बताया कि सड़कें बहुत खराब हैं, जिससे गंदगी और गंदगी की समस्या पैदा हो रही है। सड़क पर कूड़े के ढेर के गुब्बार उड़ते हैं, जो चाहत और फर्नीचर के लिए समस्या का कारण बनते हैं।
रेस्टोरेंट की स्थिति बुजुर्ग सांस्व्यापक दिनेश कुमार सोनकर ने कहा, सड़कों की बदहाली के कारण बहुत गंदगी फैलती है, जिसे लेने में परेशानी होती है और हमें खांसी और गंदगी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, स्कोर के कारण ई-क्रिएप का संतुलन बिगड़ गया है और सड़क दुर्घटनाएँ आम हो गई हैं।
प्रशासन से शिकायत के बावजूद कोई सुधार नहीं
हरा शर्ट्स डेनियल संतोष सोनकर ने बताया कि रोड रायपुर नगर निगम के वार्ड क्रमांक 61 के अंतर्गत आता है, लेकिन अब तक इसे खोला नहीं जा सका है। उन्होंने कहा, यहां ई-क्राइबर पलटने और कैथेड्रल की घटनाएं आम हो गई हैं। कई बार नगर निगम को शिकायत दी गयी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.
स्थानीय लोगों ने पूर्व विधायक और वर्तमान अल्पसंख्यक बजरंग मोहन अग्रवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके लंबे कार्यकाल के बावजूद इस क्षेत्र के समुदायों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। कूड़े के कारण गोदाम में रखा सामान भी खराब हो रहा है, जिससे उपकरणों को भारी नुकसान हो रहा है। राजधानी रायपुर की साझीदारों ने न केवल स्थानीय निवासियों का दैनिक जीवन कठिन बना दिया है, बल्कि व्यावहारिक को भी व्यावसायिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। प्रशासन से कई बार बैंक की योजनाएं जारी हो गई हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
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पहले प्रकाशित : 13 अक्टूबर, 2024, 18:07 IST