राजानंदगांव: तिलहन गांव की उन्नत उन्नत और आधुनिक उत्पादन तकनीकों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, कृषि विज्ञान केंद्र राजनांद द्वारा सामूहिक पैमाने पर खेती और आदर्श तिलहन ग्राम परियोजना के तहत 300 डिग्री क्षेत्र में सोयाबीन फार्म का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन का निरीक्षण करने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अटाटे, जयपुर की गैलरी की एक टीम का गठन किया गया था।

निरीक्षण दल ने सफलता का अनुगमन किया
निरीक्षण दल में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के डॉ. डी.पी. पटेल, डॉ. मनोज चन्द्राकर और डॉ. भोजन प्रसाद के साथ आईसीएआर अटारी, जबलपुर के वैज्ञानिक डॉ. रंजीत सिंह शामिल थे. दल ने राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम खपरीकला और खैरागढ़ विकासखंड के ग्राममहाराकुही में सोयाबीन फसल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान किसानों को तिलहन उद्यमों के उन्नत उद्योगों के बारे में जानकारी दी गई और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए।

वैज्ञानिकों की राय सुनें, उन्नत प्रौद्योगिकी की दी सलाह
निरीक्षण के दौरान टीमों ने किसानों से उनकी विभिन्न संभावनाओं को जाना और उन्हें तिलहन बाजार की नई उन्नत कृषि तकनीक व मशीनीकरण की सलाह दी। सोयाबीन की फसल की सराहना करते हुए किसानों को तिलहन फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की जानकारी दी गई। इस मौके पर कई अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे.

उन्नत प्रौद्योगिकी से उन्नत प्रौद्योगिकी
इस परियोजना का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना है। गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के पेरेंटल डॉ. बेयर्न चंदेल और अटारी फोटोग्राफर के जोनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस.आर.के. सिंह के संरक्षण में यह प्रोजेक्ट पोर्टेबल संचालित हो रहा है, जिसमें वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शामिल हैं। गुंजन झा के समुद्र तट में विस्तार दी जा रही हैं।

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