सिवनी. मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से रिश्ते के तार-तार होने वाली खबर है। यहां एक बुजुर्ग का शव ‍दिखाई दे रहा है, लेकिन उसके न तो बेटे हुए और न ही बेट‍ियां। बुजुर्ग पिछले कुछ पूर्वजों से वृद्धाश्रम में रह रहे थे। 14 अक्टूबर को उनकी अचानक मृत्यु हो गई। वृद्धाश्रम ने जब इसकी सूचना दी तो कुछ ने आर्थिक स्थिति का आकलन करते हुए शव लेने से इनकार कर दिया। एक बेटे ने सूचना मिलने के बाद फोन ही बंद कर दिया। कई घंटों के इंतजार के बाद जब शव को नहीं निकाला गया तो बुजुर्गश्रम के मुखिया और नगर पालिका ने बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कर दिया।

वैज्ञानिक है कि, यह मामला सिवनी के बरघाट के नगझर गांव का है। यहां रहने वाले 70 साल के बुजुर्ग राम पुतिन को 2 साल पहले उनके दोनों बेटों ने घर से निकाल दिया था। बेटों ने पिता को यह कहकर घर से निकाल दिया कि वे अपनी जिम्मेदारी नहीं उठा पा रहे हैं। दूसरी ओर, बुजुर्गों की दोनों बेटियों ने भी उन्हें अपने घर में नहीं रखा। इसके बाद राम कॉलेज 2 साल से सिवनी के सहारा वृद्धाश्रम में रह रहे थे। यहां उनकी देखभाल हो रही थी. लेकिन, वे अक्सर बीमार रहने लगे थे।

अंतिम दर्शन करने भी नहीं आये घरवाले
सहारा वृद्धाश्रम के केयर टेकर छोटू यादव ने बताया कि 14 अक्टूबर को बीमारी से ग्रसित राम एसोसिएट्स की मृत्यु हो गई। आश्रम के संचालक ने अपने बेटे-बेटियों को फोन करके उनकी मृत्यु की सूचना दी। एक बेटे ने अपनी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। जबकि, दूसरे बेटे ने सूचना मिलने के बाद फोन ही बंद कर लिया। आश्रम आश्रम से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। रिश्तेदारों के इंतजार में बुजुर्ग का शव जिला अस्पताल में 4 घंटे तक इंतजार कर रहा था। लेकिन, बेटे-बेटियों के अंतिम दर्शन भी नहीं हुए। उसके बाद वृद्धाश्रम शिक्षक ने नगर पालिका ने माध्य से बुजुर्गों का अंतिम संस्कार किया।

पहले प्रकाशित : 14 अक्टूबर, 2024, 18:34 IST

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