मुग़ल. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की धूम प्रारंभ हुई है। 4 नवंबर को महाकाल की पहली सवारी निकली। सावन-भादो की तरह कार्तिक अगहन मास में भी महाकाल की सवारी की परंपरा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को पहली सवारी को सभामंडप में शाम 4 बजे पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ रवाना किया गया।
इन स्थाई से गुजराती सवारी
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि भगवान श्री महाकालेश्वर श्री मनमहेश रूप में प्रजा के दर्शन नगर में निकलते हैं। सवारी में पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के युवा आदि रहे। श्रीमहाकालेश्वर मंदिर से गुदड़ी बाजार, बक्शी बाजार कहारावडी होते हुए सवारी रामघाट क्षिप्रा तट सागर, वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड़ का मंदिर, कार्तिक चौक, भगवान का मंदिर, सपूतनारायण मंदिर , ढेबा रोड, बालाजी बाजार, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर का नजारा।
अँधेरे के समय की परंपरा
महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष प्रभाव है। महाराष्ट्रीय परम्परा में शुक्ल पक्ष से माह का प्रारम्भ माना जाता है। कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है। इसी वजह से इस बार 4 नवंबर से रेलवे ट्रैक की शुरुआत हुई।
दूसरी सवारी 11 को, 14 को गोपाल मंदिर हरिहर मिलन में
कार्तिक एवं अघन (मार्गशीर्ष) माह में जाने वाली महाकाल की सवारियों के क्रम में दूसरी सवारियां 11 नवंबर, तीसरी सवारियां 18 नवंबर और प्रमुख राजसी सवारियां 25 नवंबर 2024 को निकलेंगी। साथ ही हरिहर मिलन की सवारी रविवार 14 नवंबर को निकलेगी। आज रात 12 बजे श्री द्वारकासिपल गोपाल मंदिर की सजावट।
पहले प्रकाशित : 4 नवंबर, 2024, 17:40 IST