बिलासपुर: छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले की महिला बिहान योजना के तहत माध्यम से आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल पेश की जा रही है। जिले के विभिन्न ग्राम उपकरणों से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाएं दीपावली के अवसर पर जिला पंचायत परिसर में स्टॉल लगाकर अपने स्वनिर्मित उत्पाद बेच रही हैं। इनमें गुड़िया में दीये, बाती, कपड़े, अगरबत्ती, सजावट की सामग्री, और घरेलू उपयोग की खाद्य सामग्रियां शामिल हैं। इन गड़बड़ियों के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पहुंच रहे हैं, जिससे महिलाओं की आय में भीड़ हो रही है। इस पहल में महिलाओं को आर्थिक ढांचे के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने का भी सुनहरा अवसर प्रदान किया गया है।
दीपावली के दौरान जिला पंचायत क्षेत्र में कई ग्रामीण महिलाओं ने बिहान योजना के माध्यम से स्टॉल लगाए हैं। यहां वे अपने हाथों से तैयार किए गए दिए, अगरबत्ती, गोबर के कंडे, माला, और सजावट का सामान बेच रही हैं। इसके अतिरिक्त, अचार, पापड़, सर्फ और जैसे साबुन घरेलू सामग्रियां भी स्टॉल पर उपलब्ध हैं। इन प्रोडक्ट्स की क्वालिटी को देखते हुए ग्राहक बड़ी संख्या में खरीदारी कर रहे हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक लाभ मिल रहा है। हर दिन करीब 10,000 से 20,000 रुपये की बिक्री हो रही है, जो महिला संरक्षण का संजीव प्रमाण है।
सी-मार्ट के माध्यम से बढ़िया बिक्री
सरकंडा स्थित सी-मार्ट से जुड़ी किरण तारा पिछले 16 वर्षों से महिला समिति का हिस्सा हैं, बता रही हैं कि उनका ग्रुप बिहान योजना के तहत अचार, पापड़, अगरबत्ती, सर्फ और साबुन जैसे उत्पाद तैयार करता है। इस समूह में लगभग 300 महिलाएँ शामिल हैं, जो विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाती हैं। सी-मार्ट के माध्यम से इनके उत्पाद अधिक लोगों तक पहुंच रहे हैं, जिससे इन्हें स्थायी आय का साधन मिलता है।
लाखों की संख्या में कारखाने का निर्माण
गनियारी की नारी शक्ति स्व सहायता समूह की सदस्य मीना मानिकपुरी, जो 2019 से इस समूह के साथ जुड़ी हुई हैं, बताती हैं कि उनके समूह में 400 नारी शक्ति काम करती हैं। इनके द्वारा बनाए गए फ्लैट्स की मांग इतनी अधिक है कि हर महीने इन्हें 50 लाख रुपये से अधिक के ऑर्डर मिलते हैं। दो दिन में 20,000 रुपये की बिक्री करके मीना और उनके ग्रुप ने सिर्फ आत्मनिर्भरता का नया मोटोरोला स्थापित किया है।
बिहान योजना ने लगाई नई पहचान
बिहान योजना के माध्यम से बिलासपुर की महिलाओं ने न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनने की राह पकड़ी है, बल्कि उन्हें अपने परिवार का सहारा बनने और आत्मनिर्भरता का अनुभव करने का अवसर भी मिला है। इस सबसे पहले महिलाओं को महिला समाज में नई पहचान और सम्मान प्राप्त हो रहा है।
पहले प्रकाशित : 30 अक्टूबर, 2024, 15:17 IST