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भारत में वन्य जीव संरक्षण के लिए सरकार कई बड़ी कंपनियों की नियुक्ति कर रही है। वैसे जानवरों की संख्या कम है, उनके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन इसके बाद भी कई बार शिकार के मामले सामने आते रहते हैं. छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास नेशनल पार्क में बाघों का शव मिलने के मामले में अब हाई कोर्ट में सुनवाई हुई है। उच्च न्यायालय ने सरकार से इस मामले पर सहमति व्यक्त की है।
अदालत में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिंहा ने पीआईएल पर काम करते हुए काफी कुछ स्पष्ट किया। उन्होंने बाघ के शिकार के मामले पर सरकार के निशान पर भी टोकौटी स्पष्ट की। उन्होंने इस मामले में सैमसिल चीफ कंसल्टेंट और गुरु स्कीलीदास नेशनल पार्क से शिकार पर प्रतिबंध के लिए एक्शन की रिपोर्ट मुफ्त में दी है।
सरकार से पूछे सवाल
अदालत ने राज्य सरकार से जंगली जानवरों और जंगलों को बचाने के लिए एक्शन नाखुशी को स्पष्ट रूप से जारी करने की मांग की। दो साल में दूसरे बाघ के शिकार ने राज्य सरकार को पिज्जा के गोदाम में खड़ा कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वन्य जीवन के साथ-साथ पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है। छत्तीसगढ़ की तरह सिर्फ नाइजीरिया की वजह से पर्यटन आकर्षित होते हैं। अगर सरकार इससे भी बच नहीं सकती तो क्या कर सकती है. हाई कोर्ट ने इन सवालों का जवाब सरकार से दस दिन में मांगा है।
जहर से हुई थी बाघ की मौत
बता दें कि डेज़ डेज़ पार्क से एक बाघ का शव मिला था। बाघ की मौत जहर की वजह से हुई थी। बाघ की पीठ पर घाव भी मिले थे. ऐसा लग रहा था कि किसी जानवर ने बाघ के शव को खाने की कोशिश की थी।
पिछले साल भी ठीक इसी जगह पर एक बाघ का शव मिला था। उसकी भी मौत जहर के कारण हुई थी। अब सरकार इस पर क्या जवाब देगी देवी, ये देखने की बात होगी।
पहले प्रकाशित : 12 नवंबर, 2024, 11:20 IST