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अन्य. शहर के समुद्रतट-समुद्रतट कैला सागर को एक बावड़ी कहा जाता है। यह बावड़ी शहर के बीचों बीच महल गांव में स्थित है। पुरानी की यह बावड़ी 2007 में बनी थी। इसका भी मुख्य उद्देश्य साम्यवादी शहर की देवी छोटी करौली माता के इतिहास से जुड़ी कई किस्से हैं जब यहां पर चमत्कार हुए थे
एक बार जब माता के वार्षिक उत्सव में घी ख़त्म हो गया
ये बात है उनकी मुहर की जब मठ के छोटे करौली माता मंदिर पर महंत हीरालाल जी महाराज यहां साल में एक बार देवी का वार्षिक उत्सव मनाया करते थे। तब यहां पर कई सारे चमत्कार हुए थे। उस बेसमेंट में जमीन का वॉटर पाइप अच्छा हुआ था. इस वजह से इस बावड़ी के अंदर पानी आ रहा था। वर्तमान में जमीन का वॉटर लेवल कम हो जाने के कारण बावड़ी में पानी नहीं है।
उस समय जब एक बार वार्षिक उत्सव वाले दिन माता का प्रसाद बन रहा था लेकिन, प्रसाद बनाने के लिए घी खत्म हो गया था। ऐसे में महंत हीरालाल ने यह ऑर्डर दिया कि इस बावड़ी के पानी को लेकर प्रसाद बनाया जाए. उसके बाद यहां पर प्रसाद जब पानी में स्टैमिना बनाया गया तो उसने घी का काम किया। उनके बाद में महंत हीरालाल ने सुबह-सुबह किले के किले से ही इस बावड़ी के लिए कहा था। ऐसे कई चमत्कार इस बावड़ी के बारे में सुनने में आते हैं इसके अलावा कई प्रकार के रोग इस बावड़ी में संस्थान के बाद समाप्त हो गए थे।
इस बावड़ी का निर्माण 200 से 300 वर्ष पूर्व हुआ था
इस बावड़ी का नाम काला सागर है। इसका निर्माण छोटे करौली माता मंदिर के निर्माण के साथ ही किया गया था। इस मंदिर के निर्माण के समय लगभग 2007 में इस बावड़ी को तोड़ दिया गया था। उस मूल में लोग यहां पर इस बावड़ी में नहाया करते थे। इसके बाद उन्होंने छोटी करौली माता के दर्शन किये। इस बावड़ी के विषय में ऐसा भी कहा जाता है कि मध्य में एक मंदिर है जिस मंदिर का निर्माण छोटी करौली माता के मंदिर के साथ ही किया गया था।
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पहले प्रकाशित : 13 नवंबर, 2024, 17:19 IST
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