पहले तो पिटकर कुत्ते की ले ली जान, फिर उसकी याद में बना दी समाधि

रामकुमार नायक, रायपुर:- छत्तीसगढ़ में कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, जहां देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ में एक ऐसा भी मंदिर है, जिसमें कुत्ते की ही पूजा होती है। इस मंदिर को कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां लोग दूर-दूर से वफादारी का दीपक जलाते हैं। असल में, कुकुरदेव मंदिर एक स्मारक है, एक वफादार कुत्ते की याद में इसे बनाया गया था। ऐसी मान्यता है कि सोना पहले एक बंजारा अपने परिवार के साथ इस गांव में आया था, उनके साथ एक डांग भी था। इस मंदिर के बनने का किस्सा एक ही बार में देखा गया है।

राजधानी रायपुर से 97 किमी दूर बालोद जिले का खपरी गांव है। यहां है कुकुरदेव का मंदिर. सिद्धांत यह है कि यहां दर्शन करने से कुकुर खांसी और कुत्ते के काटने का कोई डर नहीं रहता है। इस मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में 1993 में पुरातत्व विभाग ने अपने स्वामित्व के साथ किया था। यहां पर नवरात्रि और शिवरात्रि का मेला भी लगता है। इस मंदिर की आस्था और इतिहास को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण फनी नागवंशियों शासकों ने 14वीं-15वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की मूर्ति स्थापित है और उसकी बगल में एक मूर्ति भी है।

शिव के साथ कुत्ते की भी होती है पूजा
कुकुर देव मंदिर 200 मीटर के खंड में फैला हुआ है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भी दोनों ओर की मूर्तियों की प्रतिमा दी गई है। लोग शिव जी के साथ कुत्ते यानि कुकुरदेव की जैसी पूजा करते हैं, वैसे ही आम शिव मंदिरों में नंदी की पूजा करते हैं। मंदिरों में मंदिरों के चारों दिशाओं में नागों के चित्र बने हुए हैं। मंदिर के चारों ओर उसी समय के चित्र भी रखे गए हैं, लेकिन स्पष्ट नहीं हैं। इनपर बंजारों की बस्ती, चांद-सूरज और बस्ती की छत बनी हुई है।

कुत्ते की याद में ‍विघटन मंदिर
जनश्रुति के अनुसार, कभी यहां बंजारों की बस्ती थी। मालीघोरी नाम के बंजारे के पास एक पेट का कुत्ता था। एक दिन सिद्धांत की वजह से बंजारे ने पिट-पिटकर कुत्ते को मार डाला। कुत्ते के जन्मदिन के बाद उसे अपनी सहजता का एहसास हुआ और बंजारे ने अपने प्रिय स्वामी भक्त कुत्ते की याद में मंदिर में ही कुकुर समाधि बना दी। बाद में किसी ने कुत्ते की मूर्ति भी स्थापित कर दी. आज भी यह स्थान कुकुरदेव मंदिर का नाम सिर्फ छत्तीसगढ़ से है, पूरे देश में नहीं है।

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