नावल में नाव विहार, फिर भक्तों के दर्शन काशी विश्वनाथ, यहाँ पहली बार श्रीकृष्ण मंदिर में जायेंगे

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगौन की पवित्र नगरी मंडलेश्वर में इस वर्ष भगवान श्री काशी विश्वनाथ की शाही सवारी भादों की प्रथम 26 अगस्त को मूर्ति से निकलेगी। सवारी के एक दिन पहले रविवार 25 अगस्त की शाम 4 बजे भगवान काशी विश्वनाथ मां नामकरण के पवित्र जल में नाव विहार करेंगे।

श्री काशी विश्वनाथ की शाही सवारी की शुरुआत साल 1999 में एक साधारण ठेले पर हुई थी। टैब से लेकर आज तक यह है सवारी मंडलेश्वर की प्रमुख धार्मिक परंपरा। इस साल शाही सवारी का 26वां साल है और अब भगवान पूरे लाव-लश्कर के साथ फूलों से साजी पालकी में सवार होकर पर्यटकों का हाल भ्रमण नगर भ्रमण पर हैं।

भगवान 10 घंटे चलेगी नगर यात्रा
आयोजन को लेकर समिति द्वारा अलग-अलग सदस्यों पर हैं। शाही गाड़ियों में जिले भर से आश्चर्यजनक हमले शामिल हैं। नगर भ्रमण पर जाने में लगभग 8 से 10 घंटे का समय लगता है। इस वर्ष भगवान काशी विश्वनाथ का जनवासा नगर परिषद अध्यक्ष विश्वदीप मोयदे के निवास पर रहेंगे। नगरवासियों और भक्तों के लिए यह एक विशेष अवसर है, क्योंकि इस बार की सवारी में कई खास आकर्षण शामिल हैं।

ये है आकर्षण का केंद्र
शिवडोला समिति के मनीषी मनोहर ने बताया कि इस शाही वर्ष में मुसाफिरों की प्रसिद्ध तोप, भूतों की बारात और झांझ-डमरू पार्टी शामिल होंगी। इसके अलावा, धरमपुरी, बखान, कसारावद और धामनोद के बैंड भी सवारी का हिस्सा बनेंगे। वहीं, गुड़ी, कसारावद, और देवताओं की लड़कियों के कलाकार, मलखंब, ढोल-ताशे और डीजे के साथ-साथ जूना श्री राम मंदिर की भजन मंडली भी शाही सवारियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है।

पहली बार कृष्ण से मिलेंगे भगवान
इस वर्ष अद्भुत संयोग बना है कि भगवान की शाही सवारी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन आगमन वाली है। राम मंदिर के अंत में दोपहर 2 बजे शिव शक्ति मिलन होगा। देर रात हरि-हर मिलन होगा। खास बात ये है कि इस बार भगवान काशी विश्वनाथ भगवान श्रीकृष्ण से उनके मंदिर में मिलेंगे। धन्यवाद पर हरि-हर मिलन और महाआरती होगी।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मंदिर के पुजारी अनिल जागीरदार ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास 18वीं शताब्दी का है। इस मंदिर की स्थापना बाजीराव पेशवा के काल में की गई थी। बाजीराव पेशवा ने अपने मंदिर की जागीरदारी दी थी, जिसके बाद उनके परिवार द्वारा इस मंदिर का संरक्षण किया जा रहा है। मंदिर की स्थापत्य और उसके गर्भगृह में स्थित भगवान शिव की प्राचीन मूर्ति की भव्यता के दर्शन होते हैं।

टैग: धर्म आस्था, लोकल18, एमपी समाचार

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