इंदौर. मध्य प्रदेश की सिविल सेवा परीक्षा के शुरूआती दौर का दाखिला लेने वाले राजस्थान के 10वीं कक्षा के एक छात्र ने बकाया से पैसा ऐंठ लिया। अपने होने का शौक पूरे करने के लिए छात्रों ने एमपीपीएससी के पेपरलीक का शौक दिया और 2500-2500 रुपये कई पाउंड से ठग लिए। पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी है।
असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (एसीपी) तुषार सिंह ने बताया कि राजस्थान के झुंझुन जिले में कक्षा 10वीं में पढ़ने वाले 16 साल के छात्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘टेलीग्राम’ पर बनाए गए एक चैनल पर दावा किया था कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) की है। 23 जून को आयोजित राज्य सेवा परीक्षा के शुरुआती दौर में 2,500-2,500 रुपये की बिक्री हुई।
यूपीआई के माध्यम से देखें हजारों रुपये
उन्होंने बताया कि इस टेलीग्राम चैनल पर यूपीआई के जरिए एक क्यूआर कोड भी दिया गया था। सिंह ने बताया कि जैसे ही कोई व्यक्तिगत राज्य सेवा परीक्षा के आधार पर उपलब्धि हासिल करता है, इस क्यूआर कोड के माध्यम से भुगतान करता है, छात्र उस नामांकन के मोबाइल नंबर को ब्लॉक कर देता है। आदिवासियों के इस तरीके से छात्रों ने दो-चार गोदामों का अनुमान लगाया। उन्होंने बताया कि छात्रों के पास राज्य सेवा परीक्षा का कोई भी आरक्षण नहीं था और उन्होंने आरक्षित वर्ग के लिए राज्य सेवा परीक्षा का घोटाला करने का दावा किया। एसीपी ने बताया कि छात्रों का कहना है कि वह ऑनलाइन के तरीके यूट्यूब पर सीखें।
मांगे शौक के उठाए हुए कदम
समुंद्र की गहराई से वह अंकित मूल्य वाले कपड़े और जूते के साथ ही राजस्थानी रेस्तरां में भोजन करने के शौक को पूरा करना चाहती थी। उन्होंने बताया कि जून में इस मामले में छात्रों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत नोटिस दिया गया था और दर्ज मामलों की विस्तृत जांच जारी की गई थी। एसीपी ने बताया कि छात्र ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) का आवेदन पत्र के नाम पर भी कथित तौर पर दलित की जांच की थी और इस मामले की जांच सेंट्रल ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा राजस्थान पुलिस की मदद से की जा रही है। .
टैग: एमपी क्राइम न्यूज़, एमपी समाचार
पहले प्रकाशित : 5 अगस्त, 2024, 21:48 IST