ज़ब्त. कभी आपने सुना है आओ-आओ झुंड पर पक्षी बंद आ जाते हैं…वो भी एक या दो नहीं… बल्कि सैकड़ों पक्षियों के झुंड का झुंड। ऐसा ही कुछ है मध्य प्रदेश के जबलपुर के नर्मदा तट पर, जहां हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी पहुंच रहे हैं। जब इन साइबेरियन पक्षी को आओ-आओ ओझा दाना डाला जाता है। टैब साइबेरियन बर्ड्स का झुंड का झुंड समुद्र तट तक पहुंचता है और इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए समुद्री तट तट पर खींचे चले जाते हैं।

पूर्वी, जबलपुर में ठंड के मौसम में साइबेरियन पक्षी आते हैं और नर्मदा तट पर स्थित होते हैं। ये ब्रेड साइबेरिया से आते हैं। साइबेरिया से आये पक्षियों का झुंड जंगल की नालम नदी के गौरीघाट, तिलवारा घाट सहित कई घाटों पर दर्शन होते हैं। इन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से भ्रमण पर जाते हैं और उन्हें दाना डालते हैं। यह ब्रेड करीब 4 हजार किलोमीटर का सफर तय करके भारत आता है। जो शहर में करीब तीन महीने तक रहते हैं। ठंड ख़त्म हो जाती है ही यह पक्षी पहले एक सप्ताह में ही अपने देश लौट जाते हैं।

इंसान से 10 गुना ज्यादा होती है याददाश्त

इन पक्षियों की याददाश्त इंसानों से करीब 10 गुना ज्यादा होता है। यह पक्षी ठंडे खून के होते हैं और वर्षों से यहाँ खाना, घोंसला बनाना, और जन्म लेना पाया जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि साइबेरियन पक्षी अपना रास्ता नहीं भूलते हैं। हजारों की संख्या में उत्पादन के बाद भी हर साल नर्मदा तट में ही आते हैं। जो रास्ते तक नहीं भूलते इन वर्ड्स को देखने के लिए अलास्का भक्त ही नहीं। जबकि पर्यटक भी आते हैं। जब टूरिस्ट दाना कहते हैं. टैब में नॉर्म तट का यह दृश्य किसी वॉलपेपर से कम दिखाई नहीं देता है।

व्युत्पत्ति करने की मचती हैं होड़

नॉलाडा के पहाड़ी इलाके में एक साइबेरियन पक्षी के आने के बाद पर्यटकों की संख्या में गिरावट आती है। जहां साइबेरियन ब्रेडर्स के आने पर सेल्फी से लेकर व्युत्पत्ति की होड़ मचती है। जबकि टूरिस्ट नाव में इस खूबसूरत नज़ारे को देखकर अचंभित भी हो जाते हैं। पर्यटक विराज यादव का कहना है कि साल भर ठंड का इंतजार रहता है। जब साइबेरियन पक्षी इतनी बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं। यह दृश्य विदेश से कम नहीं दिखता है। जब मां नर्मदा के घाट में साइबेरियन पक्षी चार चांदंद के स्थान हैं।

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