सीहोर. मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल में शिक्षा की स्थिति में बदलाव यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसा ही एक इंटरव्यू वाला मामला सीहोर से सामने आया है। यहां एक ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में बच्चों के माता-पिता ने बोर्ड पर हिंदी के रस और उनके भावार्थ लिखवाया, तो कागजी शिक्षक खुद शुद्ध हिंदी नहीं लिख पाए और टेस्ट में फेल हो गए। सीहोर जिले के भैरूंदा तहसील के गांव श्यामपुर स्थित श्रीनिवास में पढ़ रहे कई बच्चों ने स्कूल की पढ़ाई को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। इस याचिका पर कुछ साइंटिस्ट डेंटल ग्रेजुएट स्कूल की पहुंच हो गई।

फिर से पेरेंट्स ने स्कूल में दाखिला लिया हिंदी के अतिथि शिक्षक की परीक्षा ली। स्कूल की कक्षा नौवीं की हिंदी की शिक्षिकाओं नोज़ से बोर्ड पर हिंदी के रसों के नाम और उनके स्कूल का भाव लिखवाए गए। हालाँकि ब्लैक बोर्ड पर हिंदी के लेडी टीचर्स सही जवाब नहीं लिखते हैं।

मामले में कार्रवाई हो सकती है

सबसे ज्यादा हैरान करने वाले माता-पिता तब हुए जब शिक्षकों ने बच्चों के सामने बोर्ड पर श्रृंगार के स्थान पर श्रृंगार, हास्य के स्थान पर हस्या, भयानक के स्थान पर भयनक और हास्य रस का स्थायी स्थान ना नकली हास्य लिखा दिया। हिन्दी की ही लेडी स्टार्स जब हिंदी में बच्चों और उनके माता-पिता के सामने आई तो इसकी शिकायत स्कूल के टीचर से की गई।

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फिर मास्टर की नजाकत को देखते हुए गेस्ट टीचर्स ने अपनी म्युजियन की माफिक आराम से झांकी निकाली। इतना ही नहीं टीचर ने भविष्य में इस तरह की गलती नहीं करने की भी बात कही। हालाँकि बच्चों के माता-पिता ने कहा कि स्कूल में बच्चों को सही और गलत समझा जाता है। जब खुद शिक्षक ही विद्यार्थियों को शब्दों का सही अर्थ नहीं बताएगा तो फिर यह बच्चा आगे बढ़कर कितना सही और गलत का निर्णय कर सकेगा। अब इस मामले में स्कूल के प्रबंधक और क्षेत्र के बीईओ का कहना है कि किमामले की जांच कर आगे की कार्रवाई के लिए डीईओ को लिखा जाएगा।

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