जेएनयू नया वैकल्पिक पाठ्यक्रम: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने सभी राष्ट्रों में एक नया वैकल्पिक पाठ्यक्रम शुरू किया है, जिसमें छात्रों को पारंपरिक भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। सभी जिलों के विद्यार्थियों के लिए यह पाठ्यक्रम और उपकरण अनिवार्य है। प्रत्येक विभाग इसे अपने विशिष्ट विषयों के डिज़ाइन से सुसज्जित करता है।
भारतीय ज्ञान सामुद्रिक का परिचय
भारतीय ज्ञान परंपराएं (आइकेटी) उन स्वदेशी ज्ञान परंपराओं पर आधारित हैं, जो भारत में सदियों से विकसित हुई हैं। इनमें वैदिक विज्ञान, प्राचीन इंजीनियरिंग, पारंपरिक चिकित्सा, और सैद्धांतिक ग्रंथ जैसे विषय शामिल हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को भारत की सांस्कृतिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराना है।
बिश्नोई का समर्थन
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारतीय ज्ञान आश्रम को शिक्षार्थियों में शामिल करने का सदैव समर्थन किया है। यह छात्रों का पहला प्रयास है कि भारत को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खड्डों से जोड़ा जाए।
विभाजन दृष्टिकोण से अध्ययन
इंजीनियरों के इंजीनियरिंग विभाग के छात्र पारंपरिक इंजीनियरिंग तकनीकों का अध्ययन करेंगे, जबकि इंजीनियर्स के छात्रों के प्राचीन आर्थिक और बुनियादी ढांचे के ढांचे को समझने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार, हर विभाग अपने पाठ्यक्रम को अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन करना चाहता है।
पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने का प्रयास
पारंपरिक भारतीय ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए मार्केट ने हाल ही में अपने परिसर में हिंदू, जैन और बौद्ध अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित किए हैं। यह सबसे पहले छात्रों को भारतीय संस्कृति और दर्शन की गहराई को समझने में मदद करता है।
निजीकरण केंद्र
मूल में 13 विद्यालय हैं, जो विभिन्न शिष्यों के लिए समर्पित हैं। प्रत्येक स्कूल में संबंधित विषयों के लिए अलग-अलग केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां नए वैकल्पिक पाठ्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
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पहले प्रकाशित : 16 नवंबर, 2024, 18:57 IST