सुबीर चौधरी कुमार

गौरेला पेंड्रा मार्गही: छत्तीसगढ़ के मरघटी इलाके के जंगल से एक बार फिर नर भालू की मौत की खबर सामने आई है। वनमंडल के मरघटी वनपरिक्षेत्र के पंडरी बीट में इस नर भालू की मौत हो गई है, लेकिन मौत के बारे में अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि मरने वालों के सही गुणों का पता लगाने के लिए एक साल बाद ही मंथली रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी। वहीं चोट के निशान देखकर डॉक्टरों ने बताया कि यह 3 साल का है। विक्टोरा की लड़ाई के दौरान एक और नर भालू घायल हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। शरीर पर भालू के हमलों के निशान भी हैं।

मरवाड़ी वनमंडल के डीएफओ सोया ने बताया कि कम उम्र में नर भालू की मौत हो जाती है। वन विभाग के वैज्ञानिकों ने अपना परीक्षण कर तैयार किया है। एक के बाद एक अध्ययन रिपोर्ट ही आगे की जानकारी दी गई।

भालुओं का डायनासोर माना जाता है मरवारी

मरवाही क्षेत्र को भालुओं का गढ़ माना जाता है। पिछले सप्ताह भी इसी क्षेत्र में एक भालू ने 3 दिनों के भीतर 5 लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था, जबकि 2 लोगों की जान ले ली थी। वन विभाग ने उस भालू का संरक्षण कर बिलासपुर के कानन पेंडारी को भेजा था, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई थी।

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मरवारी क्षेत्र में लगातार भालुओं की संख्या में गिरावट है। अवैध काॅलेज, ओक्लाहोमा वनों की कटाई और जंगली जंगलों के रहवासों में हो रहे हैं भालू और अन्य जानवर भोजन की तलाश में आबादी वाले एशिया की ओर जा रहे हैं। ऐसे इंसानों और जोड़ों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसकी वजह पिछले एक हफ्ते में 2 भालू और एक वाइल्ड डॉक्स की मौत हो गई है।

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