बुरहानपुर: हर प्रदेश में अलग-अलग तरह की मिठाइयाँ पाई जाती हैं जो आपके क्षेत्र के मूल निवासी होते हैं। कुछ मिठाइयों का स्वाद इतना लाजवाब होता है कि वे पूरे देश में मशहूर हो जाती हैं और अपने इलाके की पहचान बन जाती हैं। इसी क्रम में नया नाम मध्य प्रदेश के बुरहानपुर का है। यहां की दो मिठाइयों ने देश स्तर पर पहचान बनाई है। इनका चयन आपके मैसाचुसेट्स फेडरेशन में हुआ है, इन दोनों मिठाइयों ने सभी टेस्ट पास कर लिए हैं और विशेष कारण के तौर पर लिस्ट में जगह मिली है।

कहां दिखती है ये मिठाई?
लोकल 18 की टीम से की गई बात स्कैंडल स्वीट के लीडर शम्मी देवड़ा ने बताया कि हमारे यहां सबसे पहले 1947 में हमारे परदादा स्टेज मोजीलाल देवड़ा ने आजादी की खुशी में जलेबी बांटी थी। तब से आज तक ये मिठाई बन रही है। वे आगे कहते हैं कि हमारे यहां का पसंदीदा दोस्त जो बुरहानपुर जिले में ही दिखता है, वह भी वैसा ही है।

3 महीने ख़राब नहीं होता
इस मिठाई की खासियत ये है कि ये 3 महीने तक खराब नहीं होती. वे कहते हैं कि जब हमें फेडरेशन की जानकारी मिल गई तो हम दोनों वहां पहुंच गए। सभी खामियों की जांच की गई और प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब इन दोनों मिठाइयों के कारण बुरहानपुर जिले का इस फेडरेशन में सेलेक्शन हो गया है। यहां पर सेलेक्शन से अब बुरहानपुर की होने वाली इन दोनों मिठाइयों को विदेश में भी पहचाना जा सकेगा।

खास हैं ये दोनों मिठाइयाँ
दुकानदार शम्मी देवड़ा ने बताया कि दारबा मिठाई 24 घंटे में बनी रहती है और 3 महीने तक खराब नहीं होती। मेरे द्वारा बनाई गई कड़ी मेहनत समान है। इस मिठाई को हाथों से राँघकर बनाया जाता है। इसका स्वाद भी बेमिसाल होता है. इस मिठाई को देश में सबसे पहले बुरहानपुर जिले में बनाया गया था जिसे राजा महाराजा ने अपनी मूर्ति के खाने के लिए दिया था और उनका अधिक काम करवाते थे। यह मिठाई खाने में भी कारीगरी होती है.

वहीं मावे की जलेबी भी सबसे पहले हमारे परदादा ने आजादी की खुशियों में बांटी थी. इन दोनों मिठाइयों के गोदामों में जमा फोटोग्राफर चले गए। सभी मानक फेडरेशन ने जांच की जिसके बाद मध्य प्रदेश की इस छोटी सी दुकान की बिक्री हुई। इस बड़े मंच पर इस दुकान का आना बहुत बड़ी बात है। अब बुरहानपुर जिले को देश के नाम पर भी जाना जाएगा। बता दें कि यह इंटरनेशनल फेडरेशन है, इसमें नीवे को अपनी संस्था शामिल है, अपनी सुविधा प्रदान करती है। इसलिए यहां पर दराबा और जलेबी को जगह मिली है।

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