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रायपुर. छत्तीसगढ़, विशेष रूप से झील के किनारे के लिए सार्वभौम भरी खबर है। यहां छात्र हिंसा की वजह से 20 साल पहले कई स्कूल बंद हो गए थे। इन स्किल्स को अब्मैनुअली शुरू किया गया है। सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई की समय सीमा समाप्त हो रही है। इन बच्चों के हाथों में हैं एक बार फिर से कॉपी-किताबें और पेंसिल। जानकारी के अनुसार, सरकार ने वन्य जीवों के 41 द्वीपों को फिर से खोल दिया है। इनमें 34 विद्यालय भी शामिल हैं, जो कि बीजापुर जिले में हैं। इन पुस्तकालयों का खुलना इतना खास है, क्योंकि यही जिला संग्रहालय का गढ़ बन गया था। यह जिला मुस्लिमवाद से काफी प्रभावित था। सरकार ने बीजापुर के अलावा सुकामा के कोंटा में 5 स्कूल और नारायणपुर के 2 स्कूल खोले हैं।
बता दें, वर्ष 2005-06 में इन 41 स्कलों में कई स्कलों को बंद कर दिया गया था। क्योंकि, उन दिनों इन एशिया में अल्पसंख्यकवाद चरम पर था। भोपाल से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ ऑफ इंडिया के अनुसार, इन ग्रामीण इलाकों के 532 छात्र स्कूल भारत लौट आए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सबसे बड़ी बात यह है कि छात्रों में आधी संख्या में लड़कियां होती हैं। इन स्कूलों में से एक स्कूल बीजापुर के घने जंगल के मुडवेंडी गांव में स्थित है। इसी साल मई-जून में इस गांव में स्कॉलर ने आईईडी ब्लास्ट किया था। इस वर्स्ट में दो बच्चों की मौत हो गई थी.
बच्चों का स्कूल की ओर लौटना महत्वपूर्ण
वैद्य बनाया गया है, औषधालय इन स्कलों को टीन शेड और बांस से बनाया गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि जल्द ही इन स्कूलों को बेहतर बनाया जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे स्कूल आ रहे हैं। इससे पहले जो माता-पिता बच्चों को पढ़ना चाहते थे, उन्हें अपने बच्चों से बहुत दूर रखा जाता था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जब राज्य में सलवा जुडूम आंदोलन चला था, तब इस स्कूल में उस समय बंद कर दिया गया था जब राज्य में सलवा जुडूम आंदोलन शुरू हुआ था। इस आंदोलन में पुलिस ने स्थानीय युवाओं को शामिल कर बौद्ध धर्म के विरुद्ध युद्ध छेड़ा था।
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पहले प्रकाशित : 10 सितंबर, 2024, 10:43 IST