बलौदा बाजारः छत्तीसगढ़ के गांव में आज भी प्यास से प्यास का इलाज करना एक पुरानी परंपरा है। बलौदा बाजार जिले के बड़गांव में वैद्यराज शीतल सिंह बरिहा औषधि-मजबूत से गंभीर समस्या का इलाज करते हैं। लकवा, शुगर, सुपरमार्केट से थोक व्यापारी हर महीने सैकड़ों की संख्या में अपने स्टॉक में रहते हैं। बिना किसी शुल्क के यह वैद्यराज साहू को ठीक करने का दावा करते हैं। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कमी आज भी देखी जा सकती है। अस्पताल से दूर हैं, ऐसे में लोग भूख-प्यास का इलाज कराते हैं। पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से कई गंभीर बीमारियाँ ठीक होने का दावा किया जाता है।
बलौदा बाजार जिले के पिथौरा से 13 किमी दूर बड़गांव में 80 साल के वैद्य शीतल सिंह बरिहा ने उपचार के माध्यम से उपचार की परंपरा को जीवित रखा है। वे लकवा, शुगर, बवासीर, गठिया, बाध, मलकंठ जैसे गंभीर गंभीर का इलाज करते हैं। उनके संस्थापक ऐसे हैं कि प्रदेशभर से जुड़े लोग उनकी नजदीकी चौकी हैं। वैद्यराज शीतल सिंह हर इलाज से पहले करें बूढ़ीमाई और सूर्यदेव की पूजा। मरीज अपने साथ नारियल और अगरबत्ती लेकर आते हैं। वैद्यराज अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा के बाद भूख-मांग से औषधि तैयार करते हैं। हल्दी को औषधि के साथ-साथ उपचार के लिए दवा भी दी जाती है।
बिना शुल्क, बिना शुल्क के इलाज,ग्रामीणों की मदद और विश्वास
वैद्यराज से इलाज के बदले में कोई फ़ेक नहीं लें। मित्र अपनी श्रद्धा से जो भी चढ़ावा देते हैं, उसे वे स्वीकार कर लेते हैं। उनका दावा है कि उनके मरीजों से मरीज बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। छत्तीसगढ़ के कश्मीर में आज भी लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं। यह परंपरा न केवल पुरानी चिकित्सा पद्धति जीवित बनी हुई है, बल्कि आधुनिक चिकित्सा से दूर छूट के लिए भी एक उम्मीद है। बड़गांव के वैद्यराज शीतल सिंह एक अनोखे उदाहरण हैं। उनके औषधि-पूजा-पद्धति से जुड़े रोगी कहते हैं कि उन्हें राहत मिली है।
परंपरा और चिकित्सा का संगम
वैद्यराज शीतल सिंह की औषधि-बूटी पद्धति न तो केवल चुनौती से राहत दिलाती है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को भी संजोती है। उनके पास पहुंची भीड़ इस बात की गवाह है कि उनकी चिकित्सा पद्धति पर लोगों का विश्वास है।
टैग: बलौदाबाजार समाचार, छत्तीसगढ़ समाचार, स्थानीय18
पहले प्रकाशित : 29 नवंबर, 2024, 08:41 IST