छतरपुर में धूमधाम से मनाई गई बटालियन नवमी, परिवार के साथ पेड़ के नीचे खाना खाना

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छतरपुर. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को इस बार 10 नवंबर को मनाया गया। ग्रंथों के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो। कहते हैं इस दिन गए शुभ कार्य का फल अक्षय रहता है।

छतरपुर जिले में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं बड़े उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाती हैं। जिलेभर में बड़े पैमाने पर उत्साहवर्धक नवमी मनाई गई। कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं ने कार्तिक के गीत गाकर कॉम्प्लेक्स ट्री की 108 फिल्में प्रस्तुत कीं। हालाँकि, जो महिलाएं कार्तिक मास स्नान नहीं करती हैं वह 9 बार ही सामूहिक वृक्षों की प्रशंसा करती हैं। पेड़ की पूजा- पेड़ की पूजा के बाद पूरे परिवार में इस साल भी साथ में भोजन करने की परंपरा को प्रतिबंधित कर दिया गया। ज्यादातर महिलाएं घर से खाना बनवाती रहीं। इसी खाने को आँवले के पेड़ के नीचे ले जाकर पूरे परिवार का साथ मिल गया। हालाँकि पहले आँवले के पेड़ के नीचे विक्रेता पूजा की गयी। इस दिन महिलाएं खेड, पूड़ी और मिठाई बनाती हैं।

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इसके अलावा इस दिन पानी में आंवले का रस स्नान करने की परंपरा भी है। ऐसा करने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता प्रचुर हो जाती है, साथ ही यह त्वचा के लिए भी बहुत जादुई है। इसके बाद पेड़ की जड़ों और दूध से सींचकर उसके तन पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हैं फिर रोली, चावल, धूप दीप से पेड़ की पूजा करते हैं। आँवले के पेड़ की 108 प्रतिमाएँ बनाने के बाद कपूर या घी के दीपक से आँवले के पेड़ की आरती की गई।

इस दिन चतुर्थी को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है
चतुर्थ नवमी के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता लक्ष्मी एक बार पृथ्वीलोक की यात्रा के लिए आईं। यहां जानिए उन्हें भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। ऐसे में उन्हें ध्यान आया कि तुलसी और शिव के स्वरूप बैल के गुण आँवले के वृक्ष में होते हैं। दोनों का अंश है, इसलिए मां लक्ष्मी ने आंवले को ही शिव और विष्णु के रूप में मनाने की पूजा की थी। उनकी पूजा से दोनों देव एक साथ प्रकट हुए। लक्ष्मी जी ने आँवले के वृक्ष के नीचे विष्णु जी और भगवान शिव को भोजन कराया। इसी संदर्भ में हर साल कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन पेड़ की पूजा की जाती है।

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पहले प्रकाशित : 11 नवंबर, 2024, 16:07 IST

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