ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी के बीच और जड़े हुए जापानी सामान, लुप्तप्राय कुंभकारों के संबंध

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श्रवण कुमार महंत, अंबिकापुर। दीपावली उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 29 अक्टूबर को धनतेरस है। लेकिन, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कुंभकारों के मोह हैं। असल में, अंबिकापुर में मिट्टी के दीयों की जगह पर वैज्ञानिक इलेक्ट्रॉनिक सामान ने ले ली है। इस कारण से पूरा बाजार बदल गया। कुंभकारों का कहना है कि हमें भी दीपावली का इंतजार रहता है। क्योंकि, दीपावली के लिए हमारे त्योहार के साथ-साथ कमाई का एक खास जरिया है। दीपावली में लोग दिए कम खरीद रहे हैं। जहां, पहले दिए गए सैकड़ों में बिकते थे, वहीं अब वे फ्रांसिस्को तक पहुंच गए हैं। हालाँकि, लोगों का कहना है कि त्योहार तो पारंपरिक दीयों से ही मनाना चाहिए।

अंबिकापुर के बाजार में दिए बेच रहे अशोक प्रजापति का कहना है कि बाजार की हालत बहुत खराब है। ये मताधिकार दिए गए थे कि दस्तावेज़ अच्छा होगा। लेकिन, लोगों का ध्यान ज्यादातर जगमग करने वाली नींद की तरफ ही है। लोग उन अनाचारों को खरीद रहे हैं जो दिखने में आकर्षक हैं। इसमें श्रमिक समूह बहुत आगे हैं। उनके आगे लोग इन मिट्टी के दीयों को ख़रीदारी पसंद नहीं कर रहे। इससे हमारी जोड़ी पर डबल असर पड़ रहा है। माल नहीं बिकेगा और बचेगा। इस बार अधिकतम आय का तो पता नहीं, लेकिन औसत आय होने का भी आकलन नहीं हो रहा है।

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ये है बाज़ार का हाल
अशोक की तरह यहाँ पर आयुर्वेद, आकाश सहित कई कुम्भकार दिये लेकर बैठे हैं। news18 की टीम ने जब ग्राउंड पर छापा मारा तो देखा कि बड़े-बड़े गोदामों पर तो भीड़ है, लेकिन कोने में दिए गए स्टालों के पास ही ग्राहक कम हैं. हालाँकि, कुछ एनिमेटेड पर लोग नीचे दिखाई दिए, लेकिन जिस तरह की भीड़ की उम्मीद थी, दृश्य दृश्य दिखाई नहीं दिया। लोग श्रमिक लाइट, श्रमिक विंड चाइम जैसी वस्तुएं खरीद रहे हैं। इसके अलावा मिठाई के गोदामों पर भी भीड़ है। लेकिन, कुंभ राशि वालों की कमाई कम दिखाई दे रही है।

लोगों ने कही ये बात
इस बीच टीन ने कुछ स्थानीय लोगों के बारे में भी बताया। ये वो लोग थे जो कुंभकारों से दीये खरीद रहे थे। उन्होंने पर्परंगत रूप से साये की बात कही। वेद प्रकाश अग्रवाल और राजा ने कहा कि मिट्टी के दिये हमारी हिंदू संस्कृति का हिस्सा हैं। इस संस्कृति को हमें नहीं भूलना चाहिए। दीपावली में घरों को मिट्टी के दीयों से ही रोशन करना चाहिए। आज सांझ से दिए और मूर्तियां बेचकर जीवन-यापन कर रहे कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उनके व्यापार के बीच शाकाहारी इलेक्ट्रॉनिक समान आ गए हैं। लेकिन, हमारा दायित्व है कि हम सभी की निजी भूमिका में रहें।

टैग: छत्तीसगढ़ समाचार, रायपुर समाचार

पहले प्रकाशित : 29 अक्टूबर, 2024, 12:55 IST

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