उत्तर: मध्य प्रदेश के जनजातीय में भी खाद्य पदार्थों की कमी से किसान चिंताएं हैं। सिविल लाइन कोठी रोड स्थित राज्य सहयोगी विपणन संघ मर्यादित खाद केंद्र में डीएपी की कमी के कारण तूफान आया है। किसान आवश्यक खाद न मिलने के कारण बार-बार केंद्र के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि अगर समय पर डीप उपलब्ध नहीं हुआ तो उनकी खेती पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
किसानों की चिंता, वैकल्पिक खाद पर भरोसा नहीं
किसानों से खाद की मांग पूरी नहीं हो रही है। सिविल लाइन कोठी रोड स्थित खादी केंद्र पर रोजाना किसान डिपो की तलाश में पहुंच रहे हैं, लेकिन, मोहोबा लौट रहे हैं। लोकल 18 से बात करते हुए किसान ने कहा, “हमें नई वैकल्पिक खाद पर भरोसा नहीं है।” सरकार या तो डीएपी खादीहार उपलब्ध है या वैकल्पिक खादी का रेट कम करे, ताकि हम इसका प्रयोग कर इसकी ग्रेडिंग का परीक्षण कर सकें।
डीएपी के लिए हल्दी मांग
जिले के किसानों का कहना है कि उन्हें जो खाद चाहिए वह उपलब्ध नहीं है। कुछ किसानों ने बताया कि दो महीने में पहली बार डीएपी का रिकॉर्ड आया था, लेकिन इसका वितरण केवल प्रोत्साहन के आधार पर किया गया था। किसानों ने लोकेल 18 के माध्यम से राजनेताओं, खिलाड़ियों और नेताओं से अपील की कि उन्हें समय पर डीएपी खाद उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे गरीबों की तलाश कर सकें।
वैकल्पिक खाद की खुराक
एनडीटीवी के ऑनलाइन विज्ञापन शिक्षकों ने बताया, “डीएपी की मांग बहुत अधिक है, जिसके लिए सरकार वैकल्पिक खाद को बढ़ावा दे रही है।” इसके लिए ग्राम स्तर पर जागरूकता शिविर भी आयोजित किये जा रहे हैं।”
वितरण प्रणाली में बटाई का दावा
जैक-जुगाड़ से खादी बैठक के पट्टे का खंडन करते हुए ड्यूक-जुगाड़ ने कहा, वितरण प्रक्रिया पूरी तरह से सीमित और ऑनलाइन है। खाद केंद्र में टोकन सिस्टम के माध्यम से किसानों को लाइन में लगकर और आवश्यक दस्तावेज खाद दी जाती है। टीचर्स ने यह भी बताया कि रीवा, झेगी और स्टार्टअप से डीएपी का अतिरिक्त काम किया जा रहा है, ताकि मांग को पूरा किया जा सके।
पहले प्रकाशित : 11 नवंबर, 2024, 21:05 IST