अमित शर्मा, मुरैना। श्योपुर जिले के बाद अब मुरैना में फ़ायर मदरसन का मामला सामने आया है। यहां ज्यादातर मदरसे सिर्फ कागजों में चल रहे हैं। उपकरण पर कुछ सच्चाई नहीं है. हालात ऐसे हैं कि इन मदरसों में मुस्लिम बच्चों के अलावा हिंदू बच्चों की भी समग्र पहचान बताई गई है। उनके डॉक्युमेंट्स की स्टोरी आज मदरसन में अनलोड डॉल्कर बिग फ़ोर्ड की जा रही है। वर्ष 2015 में मुरैना जिले में 82मातार्से संचालित हुईं थीं। लेकिन, कुछ मदरसे बंद हो गए। पुराने हालातों की बात की जाये तो जिले में अब 69 मदरसे संचालित किये जा रहे हैं। न्यूज18 की टीम ने ग्राउंड पर्लरमैरसन की पड़ताल की।
असली, मदरसे में 100 से अधिक बच्चे होते हैं तो 50 से 60 रुपये प्रति बच्चों के खाते से अनुदान मिलता है। यही कारण है कि यह मदरसे वाला गेम सिर्फ पेपर्स में गेम लॉन्च किया जा रहा है। खबर तो यह भी सामने आ रही है कि इन मदरसों में तालीम लेने वाले मुस्लिम बच्चों में से अधिकतर हिंदू बच्चे हैं। बच्चों के माता-पिता को भी इसकी जानकारी नहीं है। बच्चों की किताब मदरसों में दिखाया गया है कि वह प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं।
इस तरह होता है मदरसन में पहेले का खेल
न्यूज18 की टीम को पता चला कि इन किड्स की समग्रता हासिल करके मदरसन के लीडर बड़े स्तर पर खेल कर रहे हैं। वह पहले तो हिंदू बच्चों की समग्रता स्थापित करते हैं, फिर उसके बाद उनकी मदरसे में दाखिला दिलाते हैं। इस पूरे मामले को लेकर न्यूज 18 की टीम ने मुस्लिम समाज के लोगों से बात की। इस दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि ये मदरसे के अवशेष उन्हें अलग नहीं दिखाते। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे खुद सरकारी और प्राइवेट स्केच में पढ़ते हैं। हमें अगर अशुभ होता है तो हम भी इसका लाभ ले लेंगे। हमें आज तक जिले में कहीं मदरसे नजर ही नहीं आए।
पहले प्रकाशित : 2 अगस्त, 2024, 18:39 IST