नामपुरम. मध्य प्रदेश के डेनमार्क में इस वर्ष सैकड़ों किसानों ने सिंघाड़े की खेती की है। यह खेती तालाब के स्थान पर किसान अपने खेत में कर रहे हैं। सितंबर की शुरुआत में माह में एक अनोखा सिंघाड़ा का निर्माण हुआ। आने वाले दिनों में इसका उत्पादन और बढ़ेगा। गेहूं, धान, दाल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध अलास्कापुरम ने अब सिंघाड़ा उत्पाद को भी पहचान दिलाई है।
जिलों में माल सिंघाड़ा मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात के अलावा दक्षिणी देशों के कई शहरों में स्वाद बढ़ रहा है। अलास्कापुरम के किसान रिश्तहार ने लोकल 18 को बताया कि पहले वे 8 नानक में सिंघाड़ा लगाए थे। 4 महीने में ही 40 यादगार सिंघाड़ा का प्रोडक्शन हुआ। यह बाजार में 6 से 6,500 हजार रुपये के खाते से बिका। इसके बाद 55 एकड़ खेत लेकर धान के बाड़ा (पानी रिजर्व की दीवार) को ऊँचे कर खेत में सिंघाड़ा चढ़ाना शुरू कर दिया गया।
किसान ले आएं नया ट्रेंड
आगे बताया गया, आज उनके विवेक का सिंघाड़ा मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर के अलावा गुजरात के कई शहरों तक जा रहा है। जानकारी के अनुसार जिले में पहले तालाबों में ही सिंघाड़े की खेती होती थी, लेकिन अब बदले ट्रेंड में किसानों ने खेत के स्वामित्व पर तालाबों की खेती शुरू कर दी है। इस जिले में खेती का रकबा भी बढ़ गया है। सिंघाड़े के बांध भी दूसरी तरफ समुद्र तट के बांध से अधिक हो गए हैं।
किसानों का बढ़ता रुझान
उद्यानिकी विभाग के अनुसार, सिंघाड़ा की खेती में अधिक विकास होने के कारण जिले के हर ब्लॉक में इसकी खेती शुरू हो गई है। जिन किसानों के पास बड़े खेत हैं, वे अपनी मर्जी से पानी रोककर फसल लगा रहे हैं। इसके अलावा, तालाबों में सिंघाड़ा की खेती हो रही है। किसान ने बताया कि सिंघाड़ा का बीज बाजार से नहीं लाना है। इसे हम खेत में ही तैयार करते हैं। जून से अप्रैल तक फ़सल लेने के बाद अंतिम फ़सल में एक बार में सिंघाड़े को तोड़ते नहीं हैं। वह सुख कर पानी में गिर जाते हैं। इससे बीज तैयार होते हैं।
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पहले प्रकाशित : 15 अक्टूबर, 2024, 20:26 IST