राजानंदगांव:- राजनांदगांव में रियासत काल के समय दशहरा पर्व पर मिट्टी के रावण का वध किया जाता है। सांझ से चली आ रही परंपरा के अनुसार, मिट्टी से रावण तैयार किया जाता है। इसके बाद मिट्टी के रावण का वध किया गया। शहर के युसुफ कॉलेज के सामने मिट्टी के रावण की मूर्ति तैयार की जाती है और मिट्टी के रावण की मूर्ति तैयार की जाती है और मिट्टी का वध करके मिट्टी के लोग अपने घर में ले जाते हैं और उसे रखा जाता है। लगभग 300 प्राचीन से यह पारंपरिक उत्सव चल रहा है, जहां दशहरा पर मिट्टी के रावण का वध कर भगवान राम की पूजा की जाती है।

सत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक
दशहरा पर्व हर शहर और गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिले के अधिकांश स्थानों पर रावण के पुतले का दहन होता है। लेकिन सिटी के युनाइक्स कॉलेज परिसर में रावण पुतले का दहन नहीं, बल्कि मिट्टी से बनी रावण की मूर्ति का वध किया जाता है, वह भी पौराणिक राष्ट्र-शास्त्र से इस पारंपरिक पौराणिक कथाओं से लेकर सागर 300 सौ से भी अधिक समय से चली आ रही है आ रही है. वहीं इसे लेकर राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी दिलीप वैष्णव ने लोक 18 में बताया कि लगभग 300 वर्ष पूर्व राजानंदगांव में पौराणिक कथाओं से उत्पन्न दर पीढ़ी दशहरा उत्सव में मिट्टी के रावण का वध किया जाता है। राम जी की मूर्तिकला अस्त्र-शास्त्र से लेकर मिट्टी के रावण का वध तक दशहरा उत्सव मनाया जाता है।

इस मिट्टी के रावण को धीमर समाज के लोगों द्वारा कई पीढ़ियों से दर पीढ़ी बनाया जाता है। मिट्टी के रावण को लेकर रावण की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार समय लाल धीमर ने लोकल 18 को बताया कि मिट्टी का रावण यहां से प्राचीन काल से बन रहा है। मुझे भी करीब 20 साल पहले मिट्टी का रावण बनाया जा रहा है। वहीं मिट्टी के रावण को लेकर स्थानीय नागरिक डोमेंद्र देवांगन ने बताया कि यह परंपरा बहुत पुरानी है। यहां जब राजा महाराजा निवास करते थे, तब से यह परंपरा है। हमारी पूर्वज भी इस परंपरा को देखते थे। योगदानकर्ता ने भी सहयोग किया और मिट्टी का रावण बनाया। पौराणिक रावण का वध किया जाता है।

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बलदेव राधा कृष्ण मंदिर से अपवित्र है
रावण वध से पहली विधि विधान के साथ यूक्रेन कॉलेज परिसर में स्थित बलदेव राधा कृष्ण मंदिर से भगवान श्री राम की शोभा यात्रा निकलती है। इसमें सूर्य, चंद्र, हनुमान, अंगद, नील नील में यात्रा करते हुए लंका कॉलेज की पिरामिडों की परिक्रमा करते हैं, जिसके बाद पूरी विधि-विधान के साथ शहर में पूजन कर मिट्टी से बने रावण की मूर्ति का वध किया जाता है।

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