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उत्तर: आलू के पटाखे के सीज़न के लिए ज़ोरों और किसानों के लिए यह समय आपके पोर्टफोलियो में एक बेहतरीन निर्माण की तैयारी का है। विशेषज्ञ के अनुसार, आलू की अच्छी फसल के लिए खेत में 60-70% का सिद्धांत होना आवश्यक है, ताकि बीज को शुरुआती दौर में ही सही संतुलन मिल सके, जिससे उनकी वृद्धि बेहतर हो।
खाद और अनाज की सही मात्रा में उपयोग आवश्यक
यूनिवर्सल से पहले यूनिवर्सल में गोबर की खाद और मसाला, सैलून, पोटाश जैसे आवश्यक पदार्थों का उपयोग किया जाना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि 75-100 ग्रेड ग्रेड प्रति हेक्टेयर की मात्रा में डॉक्युमेंट्स को आवश्यक पोषण दिया जाता है, जिससे उनकी जड़ें मजबूत होती हैं और फसल की वृद्धि में सहायक होती हैं।
मशीन से ताज़े का चलन
स्थानीय 18 की टीम ने इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए जनजातीय उद्यानिकी और खाद्य संगठन विभाग का दौरा किया। वहां उपचालक अनिल सिंह ने बताया कि जेनरेटम में अब आलू की बोनी मशीन सिस्टम है, जिसे ‘पोटो प्लांटर’ कहते हैं, वह जा रही है। इस तकनीक की विशेषता यह है कि इसमें खाद और बीज को एक साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में आसानी से स्थापित किया जाता है। यह मशीन एक घंटे में एक नॉकर फार्म की खुदाई कर देती है, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
कम ठंड का कोई असर नहीं
मौसम को लेकर अनिल सिंह ने बताया कि अभी ठंड कम है, लेकिन आलू के फल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। किसानों को सलाह दी गई कि जल्द ही मौसम ही सही, उपयुक्त हो जाएगा और फसल को पर्याप्त ठंडक मिल जाएगी।
रासायनिक की जगह जैविक खादों को प्राथमिकता दी जाती है
किसानों को खाद के चयन में विशेष ध्यान देने की सलाह देते हुए अनिल सिंह ने बताया कि रासायनिक खाद के रसायन, जैविक खाद, जैसे वर्मी कम्पोस्ट, मशीनरी के लिए और अधिक चमत्कारी साबित हो रही है। जैविक खादों के प्रयोग से फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है, और मिट्टी की उर्वरता भी हल्दी होती है, जिससे अगली सब्जी बनाने पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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पहले प्रकाशित : 8 नवंबर, 2024, 20:37 IST