बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात हो रहा है। बिलासपुर के छेडीलाल बैरिस्टर कृषि कॉलेज के अनुसंधान केंद्र और मगरमच्छों में डायबिटीज के उपचार तैयार किए जा रहे हैं। इस पारंपरिक अदरक की तुलना में गुना में कई बेहतरीन साबित हो रहे हैं। इन तकनीकों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रयोगशाला में विकसित किया जा रहा है, जहां उन्हें विशेष पोषक तत्व दिए जा रहे हैं। इस कारण से उच्च गुणवत्ता वाले और स्वस्थ उपचार तैयार हो रहे हैं।

क्या है अनोखा
इन रसायनों की शुरूआत यह है कि कीड़ों से मिलने वाली बीमारी लंबे समय तक खराब नहीं होती है। इसके साथ ही, ये उपाय किसानों को अधिक उत्पादन देने में सक्षम हैं। इससे उन्हें आर्थिक रूप से भी बड़ा लाभ मिल सकता है। कृषकों का उद्देश्य इन सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को बढ़ावा देना और उन्हें बेहतर कृषि तकनीक से परिचित कराना है, ताकि कृषकों की खेती अधिक और सहायक बन सके।

स्वस्थ्य उपचार से बेहतर उत्पाद
ये मधुमेह रोगियों के उपचार अन्य पारंपरिक पारंपरिक की तुलना में अधिक स्वस्थ हैं और इनमें कीड़ों का प्रकोप बहुत कम होता है। इस उपाय से प्राप्त जिज्ञासु को लंबे समय तक उत्पाद खरीदने की सुविधा नहीं मिलती है। एक उपाय से 300 से 600 ग्राम तक अदरक का उत्पादन होता है। ये किसानों के लिए मुनाफ़ा का एक प्रमुख स्रोत साबित हो सकता है। यह केवल अधिक उत्पाद नहीं देता है, बल्कि इसकी खेती खुले मैदान और पॉलीहाउस दोनों में की जा सकती है।

अदरक की फल गलन से आरंभ के लिए टिशूचर का उपयोग
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय वर्मा (इंहोंने डायरेक्टोरेट ऑफ ब्लैककट, केरल से भारत सरकार के मसाला रिसर्च सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त किया है) ने इस मधुमक्ख्यर की पढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। लोक 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के किसानों को अक्सर किसानों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, विशेषकर अधिक वर्षा और मधुमेह के कारण भूख और मधुमेह की समस्या बढ़ जाती है। इससे फसल ख़राब हो जाती है. इस चुनौती से आरंभ करने के लिए, वैज्ञानिक टीशू कल्चर तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिसमें जिज्ञासा की बीमारी-निवारक चिकित्सा तैयार की जा रही है।

कोई क्राइटेरिया नहीं, सभी किसानों के लिए उपलब्ध है
किसानों के लिए अमेरीका के पंजीकृत को प्राप्त करने के लिए कोई विशेष क्राइटेरिया निर्धारित नहीं किया गया है। कोई भी किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार यहां ऑर्डर कर सकता है। कॉलेजों द्वारा ये उपकरण किसानों को उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे वे अपनी फसल को उन्नत कर सकते हैं और भी कमा सकते हैं।

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