राजानंदगांव: यदि हरी झंडी दिखाई दे रही है तो इसे तुरंत नियंत्रित करना आवश्यक है। व्यवसाय में नौकरी के खतरे को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है। धान के संकेत में हरी काई का प्रकोप बढ़ रहा है, जिससे फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है।

धान की फसल की सुरक्षा के उपाय
यदि धान के खेत में हरी काई का प्रकोप दिखाई दे, तो किसानों को पानी की खरीदारी की जांच करानी चाहिए। खेत में 5 दस्तावेज़ से अधिक पानी नहीं होना चाहिए। पानी के विक्रेताओं के साथ-साथ, जहां से पानी उपलब्ध है, वहां कॉपर कंसल की पोटली के भंडार से कई बर्तनों के प्रकोप से बचा जा सकता है।

कृषि विभाग की सलाह
कृषि विभाग ने हरी काई के प्रकोप पर तत्काल उपाय की सलाह दी है। जिला कृषि अधिकारी नागेश्वर लाल ने स्थानीय 18 को बताया कि हरी काई से धान की फसल को अधिक नुकसान होता है। इसके लिए 500 से 600 ग्राम कॉपर कोरोला की पोटली में तीन से चार स्थानों पर रखा जाना चाहिए।

कारीगरों का नौकर
जब धान की फसल की स्थिति में सुधार आ जाए, तब धान की फसल की स्थिति में सुधार आ जाए। ग्रीन काई अनुमोदित में पोषक तत्व की गतिशीलता को भी प्रभावित करता है, जिससे पोषक तत्वों की वृद्धि में बाधा आती है।

पानी की दुकान पर ध्यान
किसानों को हरी काई से बचाव के लिए धान के हुकूमत में पानी की रोकथाम से बचना चाहिए। लगातार पानी की बिक्री से ग्रीन काई के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। कॉपर के मिश्रण की पोटली को पानी की निकासी और आगमन वाली जगह पर रखने से हरी काई जल्दी खत्म हो जाती है और धान के फसल को कम नुकसान होता है।

हरी काई का प्रभाव
हरी काई धान की झील को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, सिवाए उन सागर में जहां ज्यादा पानी रहता है। यह 20 से 25 दिनों में अपना आउटलुक शो शुरू कर रहा है, जिससे फसलें धीरे-धीरे खराब होती जा रही हैं। इस समस्या से बचने के लिए किसानों को समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा दी गई सलाह का पालन करना चाहिए। उपायों से किसान अपने धान की फसल को हरी काई के प्रकोप से बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।

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